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भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे का आमरण अनशन
स्तुत्य है, वन्दनीय है। पूज्यनीय गांधी बाबा के बेहतर
हथियार का इस्तेमाल कर रहे अन्ना जी को सूर्य
और चन्द्रमा की उम्र पहले ही मिल चुकी है। भविष्य में
शारीरिक तौर पर हमारे बीच न होते हुए भी वे सदैव हम
सबके बीच रहेंगे। शऱीर तो सभी को त्यागना है, उसकी
बातें हम नहीं करते और न ही राष्ट्र हित में अन्ना जी को
शरीर से कोई मतलब होगा पर हमारी(देशवासियों की)
बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। देश के प्रधानमंत्री वीपी सिंह
के समय में आरक्षण सुधार के सवाल पर देश के सैकड़ों
युवाओं ने आत्मदाह(अहिंसात्मक आंदोलन का
चरमोत्कर्ष) तक किया। इसके बाद के आन्दोलनों
में बड़े पैमाने पर आत्मदाह जैसी घटनाएं नहीं
हुई। इसे हमारे जैसा व्यकि्त अच्छा मानता
है पर क्या आन्दोलन थम गये…. नहीं व्यवस्था
के खिलाफ अब भी आन्दोलन हो रहे हैं
पर इस व्यवस्था पर भरोसा छोड कर….
अरब देशों की क्रांतियां और देश में भ्रष्टाचार
के खिलाफ अन्ना जी की भूख हड़ताल में
साम्यता की संभावनाओं (आजादी के पूर्व चौरा
चौरी काण्ड जैसे परिवेश) से इंकार नहीं किया
जा सकता है…वहीं संभव है कि अन्ना जी के
आमरण अनशन से युवाओं में फिर से भूख
हड़ताल से व्यवस्था में बदलाव के विश्वास जगे।
कुछ सवाल हैं- (1)भ्रष्टाचार में डूबी हुकूमत भ्रष्टाचार
के खिलाफ कुछ निणार्यक कदम बढ़ा सकेगी.
(2) क्या आदरणीय अन्ना जी का जीवन यूपीए
के जीवन से अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं है.
भूख हड़ताल के फैसले पर कुछ नहीं कहना है,
क्योंकि फैसला अन्ना जी ने ले लिया है।
नई सुबह की उम्मीद में…..
भ्रष्टाचार के खिलाफ पूज्यनीय अन्ना जी को
मेरा युगों-युगों तक समर्थन.
प्रमोद कुमार चौबे
ओबरा सोनभद्र
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