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दिल वालों की दिल्ली दहली फिर एक बार… से काम नहीं चलने वाला है, बल्कि नहले पर दहले की जरूरत है। आखिर हिन्दुस्तान में ऐसा कब तक
चलता रहेगा। बम विष्फोट की यह आखिरी घटना नहीं है। आतंकवाद से भारत का नागरिक खुद लड़ रहा है। जनता इस बात को बखूबी समझ रही है कि
आतंकवादी और उन्हें शह देने वाले सरकार के कथित कुछ जिम्मेदार दोनो तिहाड़ की शोभा बढ़ाने में लगे हुए हैं। देश की सुरक्षा में शहादत देने वाले
जवानो और अधिकारियों के परिजनों को सरकार आतंकवादियों को सजा में बिलम्ब कर क्या संदेश देना चाहती है. हर घटना के बाद नागरिकों को विश्वास
दिलाने में सरकारें नाकाम रही हैं। कुछ तो शर्म करो, देश के जिम्मेदारों…उस दिन की प्रतीक्षा नहीं की जानी चाहिए कि जनता खुद फैसला देकर आतंकवाद
और उसके बढ़ावा देने वालों के खिलाफ खुद बड़े कदम उठाने से न हिचके। जन ज्वार से मुसीबत खड़ी हो सकती है।
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