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अमर सिंह की जेल यात्रा के मायने को निकट से समझने की आपने कोशिश की है।
अमर सिंह जैसे शख्स के बारे में एक दिन में कोई निर्णय कर लेगा। ऐसा नहीं है।
उनके कार्य रहस्यों से भरे-पड़े हैं। वे जिनके साथ जुड़े, वे भी उनके बारे में खुलकर
बोलने से परहेज करते हैं। मुलायम और अमर सिंह के संबंधों के बारे में पूरा
देश जानता है। कभी भी मुलायम अमर सिंह के खिलाफ कड़े नहीं हो सके।
यह मुलायम की मुलायमियत थी या मुलायम की कोई बाध्यता। इसका
खुलाशा उन्हीं के बूते की बात है या बाद में होगा। संबंध बनाकर उसे अपने दायरे में बांधना
अमर सिंह से कोई सीख सकता है। यह कार्य सकारात्मक होंगे तो निशि्चत
तौर पर स्तुत्य होंगे परन्तु निहीत स्वार्थों में होंगे तो उसके परिणाम भी
देर-सबेर अनुचित होगा। मुझे लगता है कि अमर सिंह ने जो
कुंआ दूसरे के लिए खोदा था, उसमें वे खुद जा गिरे हैं। श्री अमर
सिंह जी से कोई भी नेता उलझना नहीं चाहता था पर जैसे ही उनकी
जेल यात्रा शुरु हुई है, वैसे ही विभिन्न राजनीतिक दल के नेताओं के
स्वर मुखर हो गये हैं। अमर सिंह उन नेताओं में नहीं हैं, जिनके संबंध महज
देश के भीतर ही है। श्री अमर सिंह जी के संबंध देश के नेताओं,
अभिनेताओं और विदेश के लोगों से हैं।जब कभी वे कोई कार्य
करते हैं तो उसका असर देखा गया है और निकट भविष्य में
भी देखा जा सकता है। कुछ चीजों को दिल्ली संग पूरा देश देख रहा है।
राजनीतिक पार्टियों की विचारधारा से कहीं अधिक उनके खुद की सोच
देखी जा सकती है। अर्थ, राजनीति और समाज की अमर सिंह जी के
पास अच्छी पकड़ है। उसमें धारण करने योग्य (धर्म) को साथ लेकर
चले होते तो संभव है कि वे अपनी निगाहों में भी (सिंह) होते।
गुणा-गणित करके हम अपना बचाव कर सकते हैं परन्तु
संतुष्ट नहीं हो सकते हैं। उम्मीद है कि उऩके लोग और वे
खुद ऐसी सि्थतियों के बारे में चिन्तन कर जरूरी कदम उठाएंगे ताकि
पूर्वांचल की जनता में पिछले महीनों में जगी जोश सि्थर रह सके
अन्यथा कि सि्थति में राजनीतिक सफर का असर अर्थ और समाज
से छुपा रह सकता है। पुराने कथित समाजवादियों का स्वर उन्हें
अपनी ओर मुखातिब करने में जुटा है। संभव है कि संसद में अपनी
सीट सुरक्षित रखने के लिए एक बार फिर से पुराने घरों की ओर
मूंह कर लें तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
प्रमोद कुमार चौबे
ओबरा सोनभद्र
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