urjadhani express
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आए दिन घटनाओ को सुनकर लगता है…इतिहास खुद को दुहराता है, वश पात्र,स्थान,समय बदल जाते हैं…पीड़ित लड़की को जब कोई अपनी बेटी, बहन, मां समझ ले तो ऐसी कोई अनुचित बात न हो और जो इन बातों को नहीं समझता तो उसके साथ भी ऐसा होता है। उऩ स्थितियों में वह किसी और से नहीं कह पाता। स्त्री का माँ का सम्मान दिलाने में सदैव नतमस्तक..रात है तो सुबह तो होगी ही…
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