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“Jagran Junction Forum” वेश्यावृत्तिः जब बेटी ही निकली
गलत.गलत.गलत। इससे अधिक नहीं कहा जा सकता है।कानूनी वैधता से आत्मिक वैधता नहीं हो सकती है। शर्म आनी चाहिए। ऐसे समाज को जिन्होंने वेश्यावृत्ति जैसे कार्यों को वैधता के पक्ष में खड़े हो रहे हैं।वेश्यावृत्ति को कानूनन वैध घोषित कर देना चाहिए जैसे सवाल समाज में उभर कर आना भारतीय संस्कृति पर करारा तमाचा है। किस मूंह से विश्व गुरुबनने की चाह रखते हैं।
वेश्यावृत्ति को कानूनन वैध घोषित करने से यौनकर्मियों के शोषण पर लगाम लगेगी जैसे सवाल का उत्तर यह नहीं हो सकता है कि किसी गलत कार्य को रोकने वाले गलत हो जाय तो पहले के गलत कार्य को मान्यता दे दी जाय, बल्कि ऐसे कार्य करने वालों के खिलाफ पहले से गलत कार्य करने वालों से कहीं अधिक सख्त सजा दी जाय। वेश्यावृत्ति को वैध घोषित करने से सामाजिक और नैतिक पतन होगा जैसे सवालों के जबाव में स्पष्ट है कि सामाजिक, नैतिक पतन होगा। इसमें शक नहीं है। हमें अपनी मातृ शक्ति के सम्मान का भाव कैसे समाप्त हो रहा है। पुरूष प्रधान समाज में मातृ शक्ति का अपमान कोई नया नहीं है। ऐसे पुरूष समाज के बेशर्मी के आगे शर्म भी शरमा जायेगी।
वेश्यावृत्ति को कानूनी रूप से वैध नहीं बनाया जाना चाहिए।समाज में अच्छाई और बुराई दोनो सदैव से रही हैं और आगे भी रहेंगी परन्तु किसी बुराई को यह कहकर मान्यता नहीं दी जा सकती है कि काफी पहले से चली आ रही है। कौन सी बुराई ऐसी है जो पहले से समाज में नहीं है। प्राचीन काल या वर्तमान का हवाला देकर गलत कार्य को मान्यता नहीं प्रदान की जा सकती है। प्रयास होने चाहिए कि जो कोई भी ऐसे कार्यों में लिप्त हैं, उन्हें ऐसे कार्यों से विमुख करें। सवाल उठता है कि गलत कार्यों की रोकथाम के जिम्मेदार जब उसमें शामिल हो जाय तो उसे रोकना कठिन होता है। गलत कार्यों को शह देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए, नहीं तो उनके वंशज खुद ही खत्म हो जाते हैं। गलत कार्यों को रोक कर उसकी भलाई का कार्य करते हैं और किसी के गलत कार्यों को प्रश्रय देकर उसकी वंशावली को नष्ट करने में मदद कर पापी के भागी बनते हैं, जिसका परिणाम खुद को भी भुगतना पड़ता है। इसमें संदेह नहीं है। वैश्याओं के संग में भोगी पुरूष को एक बार उसकी खुद की बेटी ही वैश्या की जगह मिल गयी थी तो उसका…..। भोगी नहीं योगी बने और शतायु की धारणा को पूर्ण करें।
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